Saturday, September 22, 2012

स्वस्थ्य गाँव बनाने का संकल्प

शहरों में अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा तो मिल जाती है लेकिन गांव की अस्वस्थ्यता पर भी किसी की नजर चली ही गई। हरियाणा के सोनीपत जिले में दो गांव हरसाना और राठधना को पूर्णतः स्वस्थ्य बनाने के लिए हाल ही में एक साल के पाइलट प्रोजेक्ट को अस्तित्व में लाया गया है। इस प्रोजेक्ट की कामयाबी के बाद धीरे-धीरे प्रत्येक जिले के एक-एक गांव को इस योजना में शामिल किया जाएगा। इसका जिम्मा आयुष विभाग ने लिया है। विभाग के सदस्य सबसे पहले दोनों गांव के हर एक घर में जाकर दौरा करने के साथ ग्रामीणों को स्वस्थ्य रहने के तरीके बताएंगे। आयुष विभाग की उपनिदेशक डा. संगीता नेहरा के नेतृत्व में प्रोजेक्ट को अंजाम दिया जाएगा इसका कारण है वह पिछले छह सालों से उनके लिए कार्य कर रही है। डा. विनय चैधरी राठधना में योजना की कामयाबी के लिए सहायता कर रहे हैं। उनका लक्ष्य गांव का हर घर स्वस्थ्य करना है जिसके पूरे होते ही प्रोजेक्ट अपने आप ही पूरा हो जाएगा। 
खास बात यह है कि योग साधना और घर में ही मौजूद वस्तुओं के इस्तेमाल से ही गांव को स्वस्थ्य बनाने के नायाब तरीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। गांव में जाकर आयुष विभाग के चिकित्सक ग्रामीणों को दवाओं  की जगह ध्यान के माध्यम से स्वस्थ्य रहने के बारे में बताएंगे। प्रोजेक्ट के तहत ग्रामीणों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के साथ ही विभाग के टीम दोनों गांव में घर-घर जाकर लोगों बातचीत करके उनकी समस्याओं को समझेंगे।  हर सप्ताह का शनिवार दिन दौरे के लिए सुनिश्चत किया गया है। डाक्टर गांव के स्कूलों में बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति सजग करेगें। औषधीय पौधों और उपयोगी मसालों के बारे में गांव में प्रदर्शनी आयोजित होगी।
दूसरी बात यह कि हमारी रसोई में उपस्थित रोजमर्रा की चीजों काली मिर्च, जीरा, अजवायन, तुलसी, हल्दी, मेथी आदि के उपयोग से भी कई बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है इसकी जानकारी दी जाएगी। कैसे यह प्राकृतिक प्रतिरोधक का काम करते है इसके महत्व को समझाने की जरूरत है। हर घर में साधारण तौर पर उपलब्ध होने वाले 5 औषधीय पौधे जैसे अश्वगंधा, तुलसी, गिलोए, लेमन ग्रास लगवाया जाएगा।
आयुष विभाग की उपनिदेशका डा. संगीता नेहरा का कहना है कि सिर्फ पानी की मात्रा कितनी होनी चाहिए। पानी पीने का अगर हमारा तरीका ठीक हो तो हम बहुत सारी बीमारियों से बच सकते हैं। हमारे शरीर में प्रारंभ से ही आत्म चिकित्सा शक्ति होती हैं। इस शक्ति को योग व ध्यान के द्वारा और बढ़ाया जा सकता है, जो हमें सामान्यतः रोगों से दूर रख सकता है। हमें अपनी दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिए। जैसा कि अकसर किया जाता है सुबह उठते ही चाय पीते हैं, जो स्वास्थ्य के बिल्कुल सही नहीं है। इसलिए पूरे परिवार की दिनचर्या का सही होना जरूरी है। हमारा ठीक ढंग से आहार लेना हमारे लिए अमृत का काम करता है। वही उनकी सहयोगी रीता कहती है कि योग और ध्यान से बहुत सी बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। यही कारण है कि गांव में इसका प्रशिक्षण दिया जाना उचित है। हम इनके द्वारा अपने ही अंदर व्याप्त शक्तियों को रोग से लड़ने के लिए अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
तीसरी बात मनुष्य की स्वस्थ्यता सिर्फ शारीरिक रूप से ही आवश्यक नहीं है अपितु  मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहना जरूरी है। शारीरिक, मानसिक व आत्मिक रूप से स्वस्थ होने पर ही किसी को पूर्ण रूप से स्वस्थ्य कहा जा सकता है। इसके लिए गांवों में प्रत्येक शनिवार को योग व ध्यान का प्रशिक्षण ग्रामीणों को दिया जाएगा। भारतीय आयुर्वेदिक पद्धति के अनुसार योग व ध्यान द्वारा मनुष्य बिना दवाईयों के पूर्ण तौर पर स्वस्थ्य रह सकता है। हमारे हर एक सेल को आक्सिजन की जरूरत है जिसके लिए प्राणायाम काफी उपयोगी है। इन सबके अलावा यदि बीमारी गंभीर है तो उन्हें चिकित्सालय में इलाज के लिए भेजा जाएगा। लेकिन 80 प्रतिशत सामान्य बीमारियां ही होती है जो आगे जा कर बढ़ जाती है। अतएव शुरूआती इलाज ज्यादा महत्वपूर्ण है। उदाहरण स्वरूप एक महिला को आठ साल से नजले की बीमारी थी जो प्रणायाम द्वारा पूरी तरह बिना किसी दवा के ठीक हुई। 
जैसा की आकड़े बताते हैं कि  हरियाण में लड़कियों की संख्या कम है जिसे ध्यान में रखते हुए कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का प्रयास करेंगे। इसके लिए सोच में बदलाव लाना जरूरी है। इसके लिए प्राथमिक तौर पर शिक्षित करना होगा। लिटिल एंजल स्कूल के निदेशक आशिश आर्य भी प्रोजेक्ट के काम में लगे हुए है साथ ही माॅडल टाउन में   मानसिक रूप से अस्वस्थ्य बच्चों के लिए स्कूल भी खोला है जिसमें फिलहाल 60-70 बच्चे हैं। इनका कहना है कि गांव की पूर्ण स्वस्थ्यता इनका भी सपना है। आज के समय में डाक्टर भी ग्रामीण इलाकों में काम करने के लिए नहीं आना चाहते हैं। इसीलिए गांव में ऐसे प्रोजेक्ट की आवश्यकता है।  



सुषमासिंह

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