Monday, January 16, 2012

सेवा भाव का सपना हुआ सच


जब हम सोचते रहते हैं कि हमें ऐसा करना है वैसा करना है उस समय वो सोच या हमारा सपना सच हो यह जरूरी नहीं है लेकिन यदि उसके पीछे सच्ची आस्था हो तो सपने को हकीकत होने से कोई नहीं रोक सकता है। ठीक ऐसा ही हुआ दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में जब बचपन से ही सेवा भाव की इच्छा रखने वाले एक संस्था के अध्यक्ष कमल जीत वैद्य ने शिरडी साई बाबा के दर्शन के बाद वापस दिल्ली आकर 18 अगस्त 2009 में ‘असहाय जन सेवा समिति’ की शुरूआत की। आज करीब 65 सदस्यों से जुड़ी इस संस्था के लोग अपने परिवार और कार्यलय के बाद का समय लोगों की सेवा में लगाते हैं। जो स्थाई रूप से कहीं कार्यरत है और उनके भीतर भी सेवा भाव की लालसा है। कमल जी बताते हैं कि इस जन सेवा की शुरूआत एक ऐसी गरीब लड़की की शादी के साथ हुई जो तीन बहने थी और बिल्कुल असहाय। उसके बाद मदद का जो सिलसिला चला वह हर क्षेत्र में बढ़ता गया। क्योंकि सेवा की आवश्यकता का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं होता है। इसलिए जिन्हें भी जरूरत हो उनकी सेवा के लिए तत्पर है। अब उस पहली शादी की प्रेरणा से ही 21 फरवरी 2012 को भी 21 निर्धन कन्याओं की तीसरा सामुहिक शादी करवाने की योजना है। जिसमें शादी में होने वाले खर्च को संस्था ही वहन करेंगी। 
असीमित सेवा का सपना लिए इस संस्था समय समय पर गरीब बच्चों के बीच दौड़ और चित्रकला प्रतियोगिता भी करवाते हैं जिससे उनकी प्रतिभा सबके सामने आ सके। गरीब तबके के बच्चों को छात्रवृति देने के साथ ही पढ़ाई के लिए कॉपी किताब भी उपलब्ध कराए जाते हैं। छात्रवृति देने का निर्णय उनके परिक्षा परिणाम को देखकर तय किया जाता है। ताकि गरीबी और अमीरी शिक्षा के बीच रूकावट न बने। हमारी नयी पीढ़ी को संस्कृति से जोड़े रखने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम  का भी आयोजन किया जाता है जिसमें खास तौर पर युवा पीढ़ी को समय के साथ अपनी संस्कृति को कैसे संजोये बताया जाता है। ठंड में साथ ही कम्बल और स्वेटर का वितरण भी किया गया क्योंकि हमारी जनता भूख से ज्यादा ठंड से मरने की कगार पर पहंुच जाती। योग ध्यान शिविर भी करवाए जाते हैं। जो अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं ऐसे बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा केंद्र और महिलाओं के लिए सिलाई केंद्र खुलवाया गया है। गरीब बच्चों को जानकारी से रूबरू करवाने के लिए ज्ञान-विज्ञान के अंतर्गत मदर डेयरी प्लांट का भ्रमण भी करवाया गया। पिछले साल रक्तदान शिविर भी लगाया गया। इस साल ही क्षेत्र में वृक्षारोपण कराने के साथ ही अनेक गरीब महिलाओं का वृद्ध  पेंशन, विधवा पेंशन और विकलांग पेंशन बनवाया गया। एक साथ कई समाजिक कामों को अंजाम देने वाली इस संस्था को मदद के लिए खुद ही प्रयास करना होता है जहां पच्चास से छह सौ रुयये तक की मदद हर माह सदस्यों द्वारा की जाती है। संस्था द्वारा लाभान्वित लोगों, विवाहिताओं का साफ कहना है कि छोटी सी मदद से उनकी जिंदगी में नई आशा मिली है। 
संस्था से जुड़े धर्म सिंह का कहना है कि ऐसे तो नाम के लिए बहुत से एनजीओ स्लम में दिखते हैं लेकिन वास्तव में काम नहीं होता है। इसलिए जरूरी है कि लोगों की सेवा का भाव हो। इनकी आगामी योजना है कि गरीब बच्चों के लिए निशुल्क कंप्यूटर केंद्र खोला जाए जिससे यह बच्चे समय के साथ तकनीक को समझ सके। बुजुर्गों के लिए आश्रम की व्यवस्था की भी तैयारी है जिससे विर्द्धो को भटकना न हो। आम लोगों की स्थानीय तौर पर मदद के लिए उनकी छोटी से छोटी समस्याओं के समाधान जैसे राशन कार्ड, वोटर लिस्ट में नाम न होने, पहचान पत्र, विधवा पेंशन, जाति प्रमाण पत्र, विकलांग प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर द्वारा मुफ्त सलाह की व्यवस्था करते हैं। इसी मुद्दे पर संस्था में कार्यरत सतीश कुमार वैद्य का कहना है हमें कोई सरकारी मदद नहीं मिलती अगर मिल भी जाए तो वहां हमारा सेवा भाव कम लगता है क्योंकि सब यही सोचने लगते हैं कि यह सब सरकार कर रही है तो संस्था का योगदान है ही क्या। जबकि ऐसा नहीं होता है। हम चाहते हैं कि भविष्य में इस इलाके में ही एक ऐसे स्कूल की स्थापना की जाए जहां गरीब बच्चों को कम मुल्य में ही वह सभी सुविधाए मिल सके जो आज सिर्फ प्राइवेट स्कूलों में ही उपलब्ध है। संस्था के मूल में यही बात है कि सेवा हर उस व्यक्ति तक पहुंचे जिनको हमारी जरूरत है क्योंकि महिला आधी दुनिया को समेटे हुए है तो बच्चे देश का भविष्य और युवा वर्तमान है। हमारे बुर्जुग इनको राह दिखाने का एक जरिया। 

सुषमा सिंह


2 comments:

  1. संस्‍था मानव सेवा के क्षेत्र में इसी तरह कार्य करती रहे, हमारी शुभकामनायें.

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  2. aap ki subhkamnawo rahi to wakai aisi sansthaye bhi aage aayengi...

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