Saturday, May 7, 2011

कब तक होता रहेगा बच्चों के साथ अन्याय!


भारत में  बाल अधिकारकर्मी के रूप में प्रख्यात कैलाष सत्यार्थी है। वैसे तो इन्हें इनके कार्यों के बतौर कितने ही राष्ट्रीय  एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। लेकिन 1980 से इन्होंने बाल अधिकार के लिए जो जंग छेड़ी है। उसके अंतर्गत वर्तमान समय में लगभग 80,000 बच्चों को बचाया जा सका है। इस प्रयास को आगे बढ़ाने के उद्देष्य से 22 मार्च की शाम  इंडिया गेट पर कैन्डल लाइट मार्च किया गया। जिसमें ‘अब कोई मुहिम नहीं’ का स्वर एक साथ गुंज रहा था। इस दिशा में कैलाश सत्यार्थी से हुआ साक्षात्कार प्रस्तुत है-

प्र. - आप लोगों द्वारा 22 अप्रैल को कैन्डल लाइट मार्च करने का क्या मकसद था और कितने लोगों का समथर्न प्राप्त हुआ?
उ. - दिल्ली में पिछले सप्ताह 9-10 साल के एक बच्चे को उसके मालिक ने बहुत ज्यादा पिटाई करते हुए दीवार पर दे मारा और हत्या कर दी। वह और उसके साथ तीन बच्चे मोहिनी बिहार से काम करने के लिए दिल्ली के एक फैक्टरी में लाए गए थे। वह तीनों बच्चे छुड़ा लिए गए है और हमारे पास सुरक्षित है। इस शर्मनाक घटना से राजधानी में ऐसे चेहरों का पर्दाफास हो रहा है जहां से सभी नीतियों का निर्धारण किया जाता है। इसी घटना के विरोध में पौने सात से लेकर पौने नौ बजे रात्रि में  5,000 मोमबत्ती जला कर इंडिया गेट पर कैन्डल लाइट मार्च किया गया। ‘अब कोई मुहिम नहीं’ के इस कार्यक्रम में जनता से अपील के फल स्वरूप बड़ी संख्या में कॉल और मैसेज भी आए। साथ ही संकल्प भी लिया गया कि - बच्चों के द्वारा बनाई गई चीजों का बहिष्कार करेंगे, ढाबों आदि में बच्चों के द्वारा दी गई सेवा नहीं स्वीकार करेंगे और जो लोग बच्चों से काम करवाते हैं, उनका विरोध करेंगे।

प्र. - भारत में कुल कितने बाल मजदूर हो सकते हैं? 
उ. - भारत में करीब छः करोड़ बच्चे बाल मजदूर और एक करोड़ बच्चे बधुवा मजदूरी करते हैं। 

प्र. - भारत की राजधानी दिल्ली में कितने बाल मजदूर होंगे?
उ. - अगर राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां लगभग पांच लाख बच्चे बाल मजदूर है। 

प्र. - बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए क्या-क्या कदम उठाएं जा रहे हैं?
उ. - सरकार की जिम्मेदारी है कि कानून को इमानदारी से लागू करें। बच्चों से ऐसे काम कराने वाले मालिको को सजा मिले, शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो, बड़ी कंपनियों का सामाजिक दायित्व है कि बाल मजदूरी न कराएं। न्याय पालिका, सुप्रीम कोर्ट और कानून की मदद से हमने 80,000 बच्चों को मुक्त  कराया है। पुनर्वास की योजना को भी अच्छे से लागू करने की जरूरत है। हमारे यहां पुनर्वास के तौर पर अपने तीन आश्रम है- पहला  मुक्ति आश्रम दिल्ली में है और इसमें 119 बच्चे वर्तमान में है। इसमें बालक और बालिका दोनों है। दूसरा बाल आश्रम - यह भी दिल्ली में है लेकिन इसमें सिर्फ बालक ही रहते हैं। तीसरा बालिका आश्रम - यह राजस्थान में है। यहां सिर्फ बालिकाएं रहती है। बाल और बालिका आश्रम में लगभग 100 बच्चें हैं। 

प्र. - 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम कराना दण्डनीय अपराध है लेकिन सरकार कानून को लागू करने में असमर्थ है। इसका क्या कारण है? 
उ. - सरकार को लागू करना पड़ेगा। हमने कई बार मामला अदालत तक लाया, राजनीतिज्ञों को भी सामने लाए। इसमें जनता ने भी समर्थन किया। इंडिया गेट पर 5,000 मोमबत्ती मार्च के तौर पर जलाई गई। बाद में भी लोग आते रहे और हमारा समर्थन किया। कानून को लागू करना जरूरी है। 

प्र. - क्या ‘शिक्षा का अधिकार’ कानून आने के बाद से बाल मजदूरी पर कोई प्रभाव पड़ा है? 
उ. - नहीं, कोई असर नजर नहीं आया। राज्यों में नियमावली बनी है। वह भी सिर्फ कागजी तौर पर, वास्तव में कानून लागू नहीं है। 

प्र. - आप लोग छापे मार कर बाल मजदूरों को आजाद करते हैं। लेकिन पुनर्वास नहीं होता जिससे वह वापस वहीं चलें जाते हैं। इस दिशा में क्या किया जा रहा है?
उ. - हम सरकार पर दबाव बनाते हैं ताकि वह पुनर्वास करें। पुनर्वास में किसी भी बंधुआ मजदूर को 20 हजार दिया जाता है, जो उसके अभिभावक के पास रहता है। और मालिक पर इस जुर्म में 20 हजार तक का जुर्माना लगाया जाता है जो बच्चे की पढ़ाई में खर्च होता है। यह प्रवधान केंद्रीय पुनर्वास योजना और बंधुआ मजदूरी अधिकार के तहत है। हमारे द्वारा 20 हजार बच्चों को बिहार में पुनर्वासित किया जा चुका है। 

प्र. - बचपन बचाओ आंदोलन पर कुछ विस्तार से बताइए?
उ. - बचपन बचाओ आंदोलन 1980 से प्रारंभ किया गया। जिसमें बाल मजदूरी, बंधुआ मजदूरी, शिक्षा का अधिकार आदि कानून के लिए संघर्ष जारी है। हम केन्द्र और राज्य को नए कानून बनाने के लिए भी दबाव डालते हैं। हम जो काम कर रहे हैं इसमें जनता का समर्थन जरूरी है। 

2 comments:

  1. और नहीं बस और नहीं, यह अत्याचार अब और नहीं, आंकड़ों से रचना को मजबूती मिली अच्छा साक्षात्कार ज्ञानवर्धक , बधाई

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  2. सटीक एवं सार्थक पोस्ट....
    ऐसे ही मुद्दों को सामने लाते रहिये

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