जब कोई लेकर हाथ में कटोरी!
किसी अन्य दरबार पे जाता है!!
क्या भगवान तुझे यह भाता है?
क्या भगवान...........................है?
क्या जन्म लेने से पहले भी कोई गलती कर जाता है?
फिर तू इतना क्यों अंतर दिखलाता है?
किसी की भर देता है झोली सारी!
कोई एक पैसा को भी तरस जाता है!!
किसी को देता है तू उँची-उँची इमारतें!
कोई झोपड़ी भी नहीं पाता है!!
कहीं दूध से नहाता है कोई!
कहीं पीने को भी नहीं पाता है कोई!!
क्या भगवान तुझे यह सब भाता है?
इस प्रलय भरी दुनिया में तू अब क्या प्रलय लाता है?
किसी को यहाँ से बेघर क्यों कर जाता है?
कहीं कैट्रीना,कहीं सुनामी क्यों लाता है?
इस भरी धारा को ही क्यों नहीं ले जाता है?
जो इस वसुधा पे हहाकार फैलाता है।
-Kushboo Sinha,8 th std.D.A.V. Public School,Pupri,Sitamarhi
nice poem khushboo.. keep writing..
ReplyDeleteitane gehre bhva,laga hi nahi kisi 8th std ki bachhi ne kavitalikhi hai.bahut sunder,magar in sawalon ke jawab kaun dega
ReplyDeleteबहुतेरी बार चिल्ला-चिल्ला कर पूछा है उससे। तब भी जब वैष्णव देवी के रास्ते में पालकों द्वारा बच्चियों को बैठाल दिया पाया घंटों के लिये, तब भी जब शिरड़ी में सोने का सिंहासन रख दिया गया पीठ से चिपके पेटों के सामने और तब भी जब तिरुपति में भी भीख मांगती वृद्धा को देखा था।
ReplyDeletewaah waah
ReplyDeletenabz pe haath rakh diya aapne..........
badhaai !
मेरा दिमाग भी अक्सर झल्लाता है,
ReplyDeleteऔर कुछ समझ नहीं आता है,
भगवान इस जन्म का लेखा-जोखा,
अगले जन्म क्युं ले जाता है.
क्या भगवान तुझे यह भाता है..
कमाल है..इत्ती सी बच्ची बात करे अच्छी बधाई हो....
bahut khub kahi aapane.
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteati sundar. narayan narayan
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