शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

जिम्मेदार कौन?


विवेक विश्वास
पिछले कई सालों से सेक्सवर्करों की दशा व दिशा पर बड़े जोर -शोर से बहस जारी है। कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कभी सामाजिक नैतिकता को लेकर तो कभी वैद्यानिक मान्यता को लेकर। परन्तु एक प्रश्न का उत्तर अभी भी अस्पष्ट है कि सेक्सवर्करों की मानसिकता एवं उनकी गतिविधियों के लिए कौन-कौन से कारक जिम्मेदार हैं। कहना गलत नहीं होगा कि यह एक सामाजिक बुराई है। बहुत सारे चिन्तकों, समाज सुधारकों ने इस विषय वर गहरी चिंता जताई है तो कुछ ने इसे समाज के लिए आवश्यक बुराई माना है।दरअसल तमाम सामाजिक संरचना एवं नैतिकता के बीच यह समझना होगा कि आज वेश्यावृति केवल जीविकोपार्जन तक सीमित नहीं रह गयी है। आज यह भूमंडलीकरण के आवरण में ढका ग्लैमर की दुनिया में पैर फैला कर दिन-प्रतिदिन मूल प्रश्नों को और भी जटिल बनाता जा रहा है।भारतीय संदर्भ में `सेक्सवर्कर´ महिला सेक्स व्यवसाय के लिए रूढ़ हो गया है। सेक्सवर्करों, खासकर महिला सेक्सवर्करों को लेकर वर्तमान संदर्भ में बाजारवाद और उपभोक्तावाद के प्रभाव तले मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है।मीडिया एक व्यापक क्षेत्र है जो समाज, राष्ट्र, विश्व तथा सम्पूर्ण ब्रह्मांड में घटने वाली हर घटना को खुद में समेटे हुए है। खगोलिय घटनाओं तथा विज्ञान क्षेत्र की हलचल से लेकर मानवीय संवेदनाएँ तक कुछ भी मीडिया से अछुता नहीं है। किसी भी तरह की घटनाओं तथा सामाजिक एवं मानवीय पहलुओं को जनसामान्य की नजरों में लाने तथा देश-दुनिया में प्रचारित करने का कार्य मीडिया द्वारा आसानी से संभव हो पाता है। सेक्सवर्करों से संदभित विभिन्न तरह के अध्ययन भी लगातार होते रहते हैं, जिसमें मीडिया विश्लेशण या शोध की भी भूमिका महत्वपूर्ण क्षेत्र है।मेरे द्वारा किया गया एक अध्ययन इसी कड़ी का एक हिस्सा है, जिसमें संदर्भ क्षेत्र `सीतामढ़ी´ को आधार मान कर `वेश्यावृति´ के हर पहलु को देखने की कोशिश की गई है।उन विभिन्न पहलुओं को आप अगले अंक में पढ़ सकेंगे......

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